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मेरी काव्य यात्रा

बचपन से ही साहित्यिक परिवेश में रहने के कारण सोच रचनात्मक रहा, लेकिन कभी सोचा नहीं कि लेखक बनने की अनुभूति भी प्राप्त होगी | बाबूजी द्वारा बालपन से सुनता आया साहित्य और रचनाकारों के सन्दर्भ में उन्होंने महाकवि दिनकर के सानिध्य में शिक्षा प्राप्त किया था | हर बालक की भांति मैंने भी अनेकों ख्वाब देखे, बहुत में सफल हुआ, बहुत में मुँह की खानी पड़ी | लेकिन जब भी गिरा बाबूजी ने एक महान पथ प्रदर्शक की तरह संभाला |

मेरी काव्य यात्रा

बचपन से ही साहित्यिक परिवेश में रहने के कारण सोच रचनात्मक रहा, लेकिन कभी सोचा नहीं कि लेखक बनने की अनुभूति भी प्राप्त होगी | बाबूजी द्वारा बालपन से सुनता आया साहित्य और रचनाकारों के सन्दर्भ में उन्होंने महाकवि दिनकर के सानिध्य में शिक्षा प्राप्त किया था | हर बालक की भांति मैंने भी अनेकों ख्वाब देखे, बहुत में सफल हुआ, बहुत में मुँह की खानी पड़ी | लेकिन जब भी गिरा बाबूजी ने एक महान पथ प्रदर्शक की तरह संभाला |

प्रेम है काव्य

मेरी काव्य यात्रा

बचपन से ही साहित्यिक परिवेश में रहने के कारण सोच रचनात्मक रहा, लेकिन कभी सोचा नहीं कि लेखक बनने की अनुभूति भी प्राप्त होगी | बाबूजी द्वारा बालपन से सुनता आया साहित्य और रचनाकारों के सन्दर्भ में उन्होंने महाकवि दिनकर के सानिध्य में शिक्षा प्राप्त किया था | हर बालक की भांति मैंने भी अनेकों ख्वाब देखे, बहुत में सफल हुआ, बहुत में मुँह की खानी पड़ी | लेकिन जब भी गिरा बाबूजी ने एक महान पथ प्रदर्शक की तरह संभाला |

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बचपन से ही साहित्यिक परिवेश में रहने के कारण सोच रचनात्मक रहा, लेकिन कभी सोचा नहीं कि लेखक बनने की अनुभूति भी प्राप्त होगी | बाबूजी द्वारा बालपन से सुनता आया साहित्य और रचनाकारों के सन्दर्भ में उन्होंने महाकवि दिनकर के सानिध्य में शिक्षा प्राप्त किया था | हर बालक की भांति मैंने भी अनेकों ख्वाब देखे, बहुत में सफल हुआ, बहुत में मुँह की खानी पड़ी | लेकिन जब भी गिरा बाबूजी ने एक महान पथ प्रदर्शक की तरह संभाला |

श्यामात्मा एक काव्य संकलन पुस्तक का हुआ लाेकार्पण

कला केन्द्र में रविवार काे कवि श्यामल चाैधरी लिखित पुस्तक श्यामात्मा एक काव्य संकलन का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण अभय कुमार झा, अलय के अध्यक्ष मनाेज कुमार सिंह, संजीव कुमार दीपू, डाॅ. येगेन्द्र, कलाकेन्द्र के प्राचार्य राम लखन सिंह, ब्रह्मदेव चाैधरी ने संयुक्त रूप से किया। डाॅ. याेगेन्द्र ने कहा कि कवि समाज काे अाइना दिखाने का काम करते हैं।

मेरी काव्य यात्रा

बचपन से ही साहित्यिक परिवेश में रहने के कारण सोच रचनात्मक रहा, लेकिन कभी सोचा नहीं कि लेखक बनने की अनुभूति भी प्राप्त होगी | बाबूजी द्वारा बालपन से सुनता आया साहित्य और रचनाकारों के सन्दर्भ में उन्होंने महाकवि दिनकर के सानिध्य में शिक्षा प्राप्त किया था | हर बालक की भांति मैंने भी अनेकों ख्वाब देखे, बहुत में सफल हुआ, बहुत में मुँह की खानी पड़ी | लेकिन जब भी गिरा बाबूजी ने एक महान पथ प्रदर्शक की तरह संभाला |

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